School Teacher Fake Degree: झारखंड शिक्षा विभाग में एक बहुत ही बड़ा संकट देखने को मिल रहा है जिसमें लगभग 4000 से अधिक सहायक शिक्षकों पर फर्जी डिग्री प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त करने का आरोप लगा है और इसके चलते होने बर्खास्त करने की तैयारी जोरो से चल रही है।
झारखंड राज्य के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और राज्य शिक्षा परियोजना दोबारा अप्रैल मन जारी किए हुए महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देशों के अनुसार पूरी राज्य के 24 जिलों में सहायक शिक्षकों का प्रमाण पत्र और डिग्रियों की गहन जांच की जा रही है।
विभागीय जानकारी के अनुसार जब यह जांच प्रक्रिया के खिलाफ कुल 1136 शिक्षकों की पहचान अभी तक की जा चुकी है उन्हें गैर मान्यता संस्थाओं से जारी किए गए शैक्षिक प्रमाण पत्र भी जमा किए हैं और इस खुला सिक्के बाद में शिक्षा विभाग में हड़कंप मच चुकी है।
विभागीय जांच के मुताबिक इन फर्जी शिक्षकों के आगे आने वाले भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगाए जा रहे हैं कि आगे उनकी भविष्य का क्या होगा कुलसी ने शिक्षा विभाग में बहुत ही खलबली मचा रखी है और इन शिक्षकों के नतीजे जिला में स्थित गंभीरता को उजागर किया जा रहा है।
फर्जी शिक्षकों की पहचान(School Teacher Fake Degree)
झारखंड राज्य में फर्जी शिक्षकों के बाद हुई शान बिन से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच हुआ है, अब तक 1136 शिक्षकों की फर्जी डिग्रियों की पहचान की जा चुकी है और आगे भी यह करवाई जा रही है।
दुमका जिले में 153 और गिरिडीह में 279 और देवघर में 98 सहायक शिक्षकों के वेतन को अप्रैल 2025 से ही दो रोक लगाई हुई है और इस मामले की तत्कालिकता और विभाग की गंभीरता को यह दर्शाता है और अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरे राज्य में ऐसे शिक्षकों की कुल संख्या लगभग 4000 से अधिक है और उनकी शानबीन की जा रही है।
झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना के निर्देशक शशी रंजन ने इस मामले में पुष्टि करते हुए सभी जिलों के शिक्षा अधीक्षकों को निर्देश जारी की है कि फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने वाले शिक्षकों की जांच जल्द से जल्द करें और उनकी रिपोर्ट विभाग को संपर्क करें और जिले में रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद विभाग स्तर पर नीतिगत तौर पर अंतिम फैसले का निर्णय लिया जाएगा।
इन सहायक शिक्षकों की नियुक्ति सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2003 के बीच ग्रामीण स्कूलों में ग्राम शिक्षा समितियां की अनुशंसा पर की गई थी उसे समय उनके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास निर्धारित की गई थी और उन्हें प्रतिमाह केवल ₹1000 वेतनमान दिया जाता था।
समय के साथ-साथ बदलाव को देखते हुए शिक्षा के महत्व और शिक्षकों की योग्यता के आधार पर वर्ष 2005 में शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया जिसके तहत शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट कर दी गई। और इस सर्कुलर जारी होने के बाद बड़ी संख्या में शिक्षकों ने उत्तर प्रदेश बिहार और झारखंड के कहीं स्थान पर इंटरमीडिएट पास होने के प्रमाण पत्र भी जमा किए।
जिसको वास्तव में गैर मान्यता प्राप्त थी और यह 19 संगीत प्रमाण पत्रों के आधार पर यह शिक्षक दो दशक से भी अधिक समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और अब इन प्रमाण पत्र की वैधता पर सवाल उठ रहे हैं और इन शिक्षकों का भविष्य खतरे में जाता हुआ नजर आ रहा है।
विभागीय जांच में गैर मान्यता प्राप्त संस्थाओं से जारी प्रमाण पत्रों को संगठनों ने संभावित रूप से फर्जी बताया जा रहा है जिससे अधिकांश उत्तर प्रदेश स्थित है और इन संस्थाओं की सूची में हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षण संस्थान, नवभारत शिक्षा परिषद, इंडिया हिंदी विद्यापीठ देवघर, बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड, हिंदी साहित्य सम्मेलन बहादुरगंज जैसे नाम शामिल किए गए हैं।
शिक्षकों के भविष्य पर खतरा(School Teacher Fake Degree)
इस घटनाक्रम के बाद विभाग की जांच शुरू कर दी गई है और करीबन 4000 से अधिक शिक्षकों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है और संपूर्ण जांच प्रक्रिया एवं पड़ताल पूरी होने के बाद ही विभाग अपनी ओर से एक अंतरिम फैसला जारी करेगा।
एवं नए केवल इन शिक्षकों के भविष्य को प्रभावित करेगा बल्कि राज्य की शिक्षा प्रणाली पर भी इसका घेरा असर पढ़ने जा रहा है और यदि बड़ी संख्या में शिक्षकों को बर्खास्त किया गया तो स्कूलों में शिक्षकों की कमी को भी देखा जाएगा जिससे पाठ्यक्रम की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
इसीलिए सरकार और शिक्षा विभाग इस मामले को बड़ी शालीनता और सूझबूझ के साथ आगे के कदम उठाने की फिराक में है ताकि न्याय भी हो और शिक्षा व्यवस्था भी सुचारू रूप से संचालित हो सके एवं शिक्षा विभाग पर किसी भी प्रकार का कोई असर ना हो।
लेकिन अभी तक स्पष्ट रूप से यह बता पाना मुश्किल होगा की अंतिम फैसला क्या होगा और यह फैसला आने वाले समय में ही बताया जाएगा लेकिन फिलहाल झारखंड के सरकारी स्कूलों में फर्जी डिग्री का यह मामला केंद्र तक चर्चा का विषय है और हजारों शिक्षकों की निगाहों मे अब शिक्षा विभाग के अगले कदम पर टिकी हुई है कि शिक्षा विभाग आगे अंतरिम क्या फैसला लेगा।